Friday, 17 July 2015

पित्ताशय पथरी / गुर्दे की पथरी

 पित्ताशय पथरी / गुर्दे की पथरी


राजीव भाईप्रात: का भोजन :-

1) जौ की रोटी खाना ।
2) मूंग और चौलार्इ की सब्जी, सहजन, अदरक का प्रयोग अधिक करें ।
3) कुलत्थी की सब्जी खायें ।
4) छाछ पियें ।
5) व्रजासन में बैठें ।


शाम का भोजन :-
1) गेहूँ की रोटी
2) सहजन की भाजी
3) गर्म दूध (हल्दी युक्त) 


पथ्य :-  घी का प्रयोग ज्यादा करें, पानी ज्यादा पियें, कुलत्थी, अदरक, पत्थर चटटा, सहजन का प्रयोग करें, नींबू के रस का प्रयोग । 


अपथ्य :-  मिठार्इयाँ , गुस्सा करना, ज्यादा मसालेदार भोजन, भूख का वेग रोकना, मख्खन, घी,चर्बी बढ़ाने वाले पदार्थ । 

रोग मुक्ति के लिये आवश्यक नियम  : 

पानी के सामान्य नियम : 

१) सुबह बिना मंजन/कुल्ला किये दो गिलास गुनगुना पानी पिएं । 
२) पानी हमेशा बैठकर घूँट-घूँट कर के पियें । 
३) भोजन करते समय एक घूँट से अधिक पानी कदापि ना पियें, भोजन समाप्त होने के डेढ़ घण्टे बाद पानी अवश्य पियें । 
४) पानी हमेशा गुनगुना या सादा ही पियें (ठंडा पानी का प्रयोग कभी भी ना करें। 


भोजन के सामान्य नियम : 

१) सूर्योदय के दो घंटे के अंदर सुबह का भोजन और सूर्यास्त के एक घंटे पहले का भोजन अवश्य कर लें । 
२) यदि दोपहर को भूख लगे तो १२ से २ बीच में अल्पाहार कर लें, उदाहरण - मूंग की खिचड़ी, सलाद, फल और छांछ । 
३) सुबह दही व फल दोपहर को छांछ और सूर्यास्त के पश्चात दूध हितकर है । 
४) भोजन अच्छी तरह चबाकर खाएं और दिन में ३ बार से अधिक ना खाएं । 


अन्य आवश्यक नियम : 

१) मिट्टी के बर्तन/हांडी मे बनाया भोजन स्वस्थ्य के लिये सर्वश्रेष्ठ है । 
२) किसी भी प्रकार का रिफाइंड तेल और सोयाबीन, कपास, सूर्यमुखी, पाम, राईस ब्रॉन और वनस्पति घी का प्रयोग विषतुल्य है । उसके स्थान पर मूंगफली, तिल, सरसो व नारियल के घानी वाले तेल का ही प्रयोग करें ।  
३) चीनी/शक्कर का प्रयोग ना करें, उसके स्थान पर गुड़ या धागे वाली मिश्री (खड़ी शक्कर) का प्रयोग करें । 
४) आयोडीन युक्त नमक से नपुंसकता होती है इसलिए उसके स्थान पर सेंधा नमक या ढेले वाले नमक प्रयोग करें । 
५) मैदे का प्रयोग शरीर के लिये हानिकारक है इसलिए इसका प्रयोग ना करें । 


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