Saturday, 21 November 2015

अलसी का सेवन आपको बीमारियो से दूर रख सकता है

अलसी का सेवन आपको बीमारियो से दूर रख सकता है


सुरेश भट्ट : सुपर फुड अलसी में ओमेगा थ्री व सबसे अधिक फाइबर होता है। यह डब्लयू एच ओ ने इसे सुपर फुड माना है। यह रोगों के उपचार में लाभप्रद है। लेकिन इसका सेवन अलग-अलग बीमारी में अलग-अलग तरह से किया जाता है।
स्वस्थ व्यक्ति को रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच अलसी का पाउडर पानी के साथ ,सब्जी, दाल या सलाद मंे मिलाकर लेना चाहिए । अलसी के पाउडर को ज्यूस, दूध या दही में मिलाकर भी लिया जा सकता है। इसकी मात्रा 30 से 60 ग्राम प्रतिदिन तक ली जा सकती है। 100-500 ग्राम अलसी को मिक्सर में दरदरा पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भर कर रख लें। अलसी को अधिक मात्रा मंे पीस कर न रखें, यह पाउडर के रूप में खराब होने लगती है। सात दिन से ज्यादा पुराना पीसा हुआ पाउडर प्रयोग न करें। इसको एक साथ पीसने से तिलहन होने के कारण खराब हो जाता है।
खाँसी होेने पर अलसी की चाय पीएं। पानी को  उबालकर उसमें अलसी पाउडर मिलाकर चाय तैयार करें।एक चम्मच अलसी पावडर को दो कप (360 मिलीलीटर) पानी में तब तक धीमी आँच पर पकाएँ जब तक यह पानी एक कप न रह जाए। थोड़ा ठंडा होने पर शहद, गुड़ या शकर मिलाकर पीएँ। सर्दी, खाँसी, जुकाम, दमा आदि में यह चाय दिन में दो-तीन बार सेवन की जा सकती है। दमा रोगी एक चम्मच अलसी का पाउडर केा आधा गिलास पानी में 12 घंटे तक भिगो दे और उसका सुबह-शाम छानकर सेवन करे तो काफी लाभ होता है। गिलास काँच या चाँदी को होना चाहिए।
समान मात्रा में अलसी पाउडर, शहद, खोपराचूरा, मिल्क पाउडर व सूखे मेवे मिलाकर नील मधु तैयार करें।  कमजोरी में व बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नील मधु उपयोगी है।
डायबीटिज के मरीज को आटा गुन्धते वक्त प्रति व्यक्ति 25 ग्राम अलसी काॅफी ग्राईन्डर में ताजा पीसकर आटे में मिलाकर इसका सेवन करना चाहिए। अलसी मिलाकर रोटियाँ बनाकर खाई जा सकती हैं। अलसी एक जीरो-कार फूड है अर्थात् इसमें कार्बोहाइट्रेट अधिक होता है।शक्कर की मात्रा न्यूनतम है।
कैंसर रोगियों को ठंडी विधि से निकला तीन चम्मच तेल, छः चम्मच पनीर में मिलाकर उसमें सूखे मेवे मिलाकर देने चाहिए। कैंसर की स्थिति मेें डाॅक्टर बुजविड के आहार-विहार की पालना श्रद्धा भाव से व पूर्णता से करनी  चाहिए। कैंसर रोगियों को ठंडी विधि से  निकले तेल की मालिश भी करनी चाहिए।
साफ बीनी हुई और पोंछी हुई अलसी  को धीमी आंच पर तिल की तरह भून लें।मुखवास की तरह इसका सेवन करें। इसमें संेधा नमक भी मिलाया जा सकता है। ज्यादा पुरानी भुनी हुई अलसी प्रयोग में न लें।
बेसन में 25 प्रतिशत मिलाकर अलसी मिलाकर व्यंजन बनाएं। बाटी बनाते वक्त भी उसमें भी अलसी पाउडर मिलाया जा सकता है। सब्जी की ग्रेवी में भी अलसी पाउडर का प्रयोग करें।
अलसी सेवन के दौरान खूब पानी पीना चाहिए। इसमें अधिक फाइबर होता है, जो खूब पानी माँगता है।

Bournvita,Horlicks, Complan,Boost जैसे हेल्थ हेल्थ टॉनिक के नाम पर धोखा

Bournvita,Horlicks, Complan,Boost जैसे हेल्थ हेल्थ टॉनिक के नाम पर धोखा


By Suresh Bhatt  :अगर आप भी अपने बच्चों को Bournvita,Horlicks, Complan,Boost जैसे हेल्थ टोनिक पिला रहे हैं तो कृपया एक बार इसे अवश्य पढ़ें lअखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की एक रिपोर्ट के अनुसार जब Bournvita का प्रयोगशाला में परिक्षण किया गया तो पोषक तत्वों की मात्रा गुड-मूंगफली की पट्टी से भी कम पायी गयी तथा इसकी निर्माण सामग्री का आधार मूंगफली की खल को बताया गया l खल वह बचा कुचा कचरा है जो मूंगफली का तेल निकलने के बाद बचता है जिसे गांवों में जानवरों को खिलाया जाता है l
यदि आप दूध के साथ गुड-मूंगफली की एक पट्टी (गच्च्क) खाते हैं तो आपको उसमे इतना प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व मिलते हैं जितने 1 किलो Bournvita के डब्बे में नहीं मिल सकते और इस कचरे को यह विदेशी कंपनिया प्रचार के माध्यम से 250-300 प्रति किलो बेच रही हैं, जिनमें पोषक तत्वों की मात्रा नाम मात्र भी नहीं है l ऐसा ही एक दूसरा उत्पाद है Horlicks यह कोई आसमान उतरा नया उत्पाद नहीं बल्कि ज़ों और चने का सत्तू ही है जिसे अंग्रेजी नाम के साथ बेचा जा रहा है और पढ़े लिखे मूर्ख लोग 35 रुपये किलो में उपलब्ध ज़ों-चने का सत्तू नहीं खरीदते बल्कि 200-250 अंग्रेजी नाम से बिक रहा सत्तू खरीद लाते हैं सिर्फ इसलिए क्योंकि सत्तू का प्रचार नहीं होता l यह जितने भी हेल्थ टोनिक भारत में बिक रहे हैं, इन सबमें 1 केले के बराबर पोषक तत्व नहीं होते यह इस देश का दुर्भाग्य है की हर साल भारत में 2000 करोड़ रुपये के हेल्थ टोनिक बिक जाते हैं जिनमे 2 पैसे के भी पोषक तत्व नहीं होते हैं l

सूर्य नमस्कार से सम्पूर्ण शरीर को आरोग्य, शक्ति एवं ऊर्जा की प्राप्ति होती है .

सूर्य नमस्कार से सम्पूर्ण शरीर को आरोग्य, शक्ति एवं ऊर्जा की प्राप्ति होती है .

surya namaskar
सूर्य नमस्कार से सम्पूर्ण शरीर को आरोग्य, शक्ति एवं ऊर्जा की प्राप्ति होती है, इससे शरीर के सभी अंग-प्रत्यंगों में क्रियाशीलता आती है तथा समस्त आंतरिक ग्रंथियों के अन्तःस्राव (हार्मोन्स) की प्रक्रिया का नियमन होता है, यदि संभव हो तो सूर्योदय के समय करें, इसको 11 से 21 बार अपनी शक्ति के अनुसार प्रतिदिन कर सकते हैं

क्या आप हडि्डयों में खोखलापन होने कि बीमारी से परिचित हैं

क्या आप हडि्डयों में खोखलापन होने कि बीमारी से परिचित हैं


boneकुमार गिरीश : वैसे तो हडि्डयों में खोखलेपन का रोग किसी भी उम्र के स्त्री-पुरुष को हो सकता है लेकिन यह फिर भी ज्यादातर यह रोग 50 वर्ष के उम्र से ज्यादा वर्ष के लोगों में पाया जाता है। यह रोग उन स्त्रियों को भी अधिक होता है जो स्त्रियां रजोनिवृति (मासिकधर्म का आना बंद हो जाना) की अवस्था में होती है।
हडि्डयों में खोखलापन होने के लक्षण-
हडि्डयों में खोखलेपन के रोग से पीड़ित रोगी के पैरों तथा कमर में दर्द होने लगता है।रोगी व्यक्ति की कमर झुक जाती है और उसे चलने-फिरने में परेशानी होने लगती है।रोगी के कूल्हे की हड्डी कमजोर हो जाती है।रोगी की मुड़ने या घूमने की शक्ति कम हो जाती है और कमर की मांसपेशियों में ऐंठन सी होने लगती है।इस रोग से पीड़ित रोगी की हड्डी जरा सा ही झटके लगने से टूट जाती है।
हडि्डयों का खोखलापन होने का कारण-
जो व्यक्ति असंतुलित भोजन का सेवन करता है उसकी हडि्डयों में खोखलापन होना शुरू हो जाता है।शरीर में कैल्शियम एवं विटामिन `डी´ की कमी हो जाने के कारण भी हडि्डयां खोखली हो जाती हैं।40 उम्र से ऊपर की स्त्रियों का जब मासिकस्राव बंद हो जाता है तो उनकी हडि्डयां खोखली हो जाती हैं।
हड्डियों का खोखला हो जाने का सबसे मुख्य कारण तेल ही है, जो की आजकल बिना चिकनाई का इस्तेमाल करते हैं, उन्हे यह रोग अवश्य होता है! इसलिए बिना चिकनाई का तेल, कैमिकल युक्त रिफाईनड बिल्कुल नहीं खाना चाहिए, इसकी जगह भारतीय परम्परा के द्वारा निकाला गया तेल (घाणी) का ही खाना चाहिए!
हडि्डयों में खोखलापन हो जाने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
इस रोग से पीड़ित रोगी को 1 सप्ताह तक फलों तथा सब्जियों का रस पीना चाहिए तथा भोजन में अधिक से अधिक फलों का सेवन करना चाहिए।रोगी व्यक्ति को संतुलित आहार (भोजन) का सेवन करना चाहिए! पांम आंयल और, सभी तरह के रिफाईनड तेल बन्द कर देना चाहिए ।रिफाईनड की जगह सिर्फ कच्ची घाणी का तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए!  तिल का तेल या फिर सफेद तिलों का दूध रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन पिलाने से कुछ ही दिनों में हडि्डयों में खोखलेपन का रोग ठीक हो जाता है।हडि्डयों में खोखलेपन से पीड़ित रोगी यदि प्रतिदिन काष्ठज फल का सेवन करता है तो उसका यह रोग ठीक हो जाता है।इस रोग से पीड़ित रोगी को तला-भुना, दूषित भोजन, चीनी, मिठाई तथा मैदा आदि नहीं खाने चाहिए।इस रोग से पीड़ित रोगी को सबसे पहले अपने पेट को साफ करने के लिए एनिमा क्रिया करनी चाहिए तथा नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। इससे कुछ ही दिनों में हडि्डयों में खोखलेपन का रोग ठीक हो जाता है।

क्या माहवारी (पीरिएड) के दौरान आपको दर्द रहता हे , तो यह उपचार अपनाये

क्या माहवारी (पीरिएड) के दौरान आपको दर्द रहता हे , तो यह उपचार अपनाये

 आयुर्वेदिक शौधाचार्या, कुमार गिरीश, जयपुर
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१ * दर्द से बचने के लिए आठ – दस बादाम रात में पानी में भिगोकर रख दें। सुबह छिलका उतारकर खाली पेट सेवन करें।
२ * मासिक के दौरान कमर में दर्द हो तो बरगद का दूध निकालकर कमर पर सुबह शाम मलें।
३ * तीन ग्राम कुटी हुई अदरक, ३ – ४ काली मिर्च का चूर्ण और एक बड़ी इलायची का चूर्णं, काली चाय, दूध व पानी एक साथ मिलाकर अच्छी तरह पकाएं। पानी आधा रह जाने पर उतार लें और कुनकुना ही पिएं। आपको माहवारी के दर्द में आराम मिलेगा।
४ * पीरिएड से संबधित कोई भी दिक्कत हो तो गरम पानी का सेवन अच्छा रहता है। माहवारी शुरू होने के दस दिन पहले से गरम पानी पीना शुरू कर दें।
अनियमित माहवारी
५* गर्म दूध के साथ ५ – ६ ग्राम अजवायन खाने से लाभ होता है।
६* दालचीनी का चूर्णं २ – ३ ग्राम पानी के साथ खाने से पीरिएड साफ होता है और शारीरिक पीड़ा भी दूर होती है।
७* खाना खाने के समय पहले निवाले में २ – ३ ग्राम राई पीसकर खाने से माहवारी की सभी परेशानियां दूर होती हैं।
८* यदि पीरिएड नियमित न हो तो दो सौ ग्राम गाजर का रस सुबह शाम पानी के साथ पीने से पीरिएड नियमित हो जाता है।
९* दस ग्राम तिल को २०० ग्राम पानी में उबालें। फिर एक चौथाई रह जाने पर उसे उतारकर, उसमें गुड़ मिलाकर पिएं। पीरिएड नियमित होगा और दर्द भी दूर हो जाएगा।
१० * गुड़ के साथ काले तिल को पानी में उबालकर दिन में २ – ३ बार पीने से मासिक धर्म खुल कर होता है।
११* तुलसी के १० – १५ बीजों को पानी मे उबालकर पीने से पीरिएड ठीक से होता है।
१२* गाजर का सूप पीने से भी माहवारी की अनियमितता दूर हो जाती है।
यदि माहवारी में अधिक रक्त स्राव हो
१३* बबूल की गोंद का चूर्णं आठ ग्राम सुबह शाम पानी के साथ पिएं। इससे अधिक मात्रा में हो रहा रक्त स्राव बंद हो जाता है।
१४ * मासिक धर्म की अधिकता में विदारीकंद के चूर्णं को घी और चीनी के साथ मिलाकर चाटने से अधिक रक्त स्राव सामान्य हो जाता है।
१५ * कुम्हड़े का साग घी में बनाकर खाने से या फिर उसका रस निकालकर चीनी मिलाकर सुबह शाम पीने से भी आराम मिलता है।
१६ * मासिक धर्म के अधिक रक्त स्राव में दूब को पीसकर उसका रस छानकर सुबह शाम पीना चाहिए। ध्यान रहे कि रस २० ग्राम से ज्यादा न पीएं।
१७ * धनिया और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर महीन चूर्णं बनाएं और इसे १० ग्राम लेकर एक कप पानी में उबालें और ठंडा करके पीएं। रोज सुबह शाम पीने से मासिक धर्म की अधिकता दूर हो जाएगी।
१८ * महानीम की कोंपलों का रस निकालकर पीने से भी मासिक धर्म सामान्य हो जाता है।
यदि कम रक्त स्राव हो रहा हो तो…
१९* अमलतास का गूदा चार ग्राम, सोंठ ३ ग्राम, नीम की छाल ३ ग्राम लेकर कुचल लें और फिर इसे १० ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर आठ गुना पानी में पकाएं। चौथाई भाग पानी रह जाने पर उतारकर छान लें। मासिक शुरू होते ही इसे दिन में एक बार प्रतिदिन पीने से मासिक धर्म खुल कर आता है।
२ ०* दिन में एक – दो कच्चे प्याज खाने से महिलाओं को मासिक ठीक आता है।
२१ * . २ – ३ ग्राम दालचीनी का चूर्णं पानी के साथ सेवन करने से मासिक स्राव ठीक होता है।
२२ * महुए के फलों की गुठली तोड़कर उसकी गिरी निकाल लें। फिर इसे पानी के साथ पीस कर गुंधे हुए आटे जैसा बना लें। फिर इसकी पतली गोलबत्तियां बनाकर सुखा लें और मासिक से १ – २ दिन पहले इसे अपने गुप्तांग में रखें। ऐसा करने से मासिक ठीक से आने लगेगा।
२३ * थोड़ी सी हींग पीसकर पानी में डालकर धीमी आंच पर पकाएं। जब पानी एक तिहाई रह जाए तो उसे छानकर पिएं। इससे मासिक ठीक आएगा।
२४ * सर्दियों में बैंगन का साग, बाजरे की रोटी, तिल का तेल और गुड़ नियमित रूप से खाने से लाभ होता है
२६* सुपारी पाक, एक चम्मच दूध के साथ लेवे, साथ में अशोकारिषट दो चम्मच सुबह शाम भोजन के उपरांत पिये.
२७ * तिल का तेल भोजन में समलित करे.
गुड, अजवाइन का हलवा बनाकर खाने से होने वाले दर्द एवं एकएक कर आने वाली मासिक धर्म ठीक हो सकता है।
मासिक दर्द में होने वाली जांघों का दर्द हो तो इन दिनों नीम के पत्ते 5 ग्राम अदरक का रस 10 ग्राम इसमें इतना ही पानी मिलाकर पिये।
अगर मासिक धर्म न आता हो तो दो चम्मच गाजर का बीज एक चम्मच गुड एक गिलास पानी में उबालकर रोज सुबह शाम पिये। 50 ग्राम सोंठ, गुड 30 ग्राम 5 ग्राम कुटी जौ, वायविडंग, 1 गिलास पानी में उबाले काढ़ा बनाऐं। आधाआधा कप, तीनतीन घंटे बाद पियें। रूका हुआ मासिक स्त्राव शुरू हो जायेगा।
दो गिलास पानी में 4 चम्मच राई उबालकर पानी छान लें उससे कपड़ा भिगाकर पेट सेकें। इससे मासिक स्त्राव खुलकर होगा व दर्द भी कम होगा।
नारियल खाने से मासिक धर्म खुलकर होता है।
तुलसी की जड़ को छाया में सुखाकर पीसकर चुटकी पावडर पान में रखकर खाने से अनावश्यक रक्त स्त्राव बंद होता है।
लड़कियों को मासिक धर्म के दिनों में सुबह भूखे पेट नींबू तथा नारंगी का रस पियें कारण ये पोटेशियम की कमी पूरी करता है दर्द वाले स्थान पर सेंक करें।
भोजन में मांसाहार कम से कम करें।
इन दिनों में अधिक तेल खटाई, मिर्च मसाला न खायें। खाली पेट दूध न पिये ऐंठन होगी।
हल्दी की 23 गांठ सिल पर पीस लें। 1 गिलास गाय के दूध में गुड डालकर स्टील के बर्तन में 23 उबाल दें और ठंडा कर पी जायें। मासिक धर्म खुलकर आयेगा। इसे एक माह तक पियें।
गन्ने का सीरा दवा का काम करता है ।
महिलाओं के स्वभाव पर इसका असर बुरा पडता है वो चिडचिडी हो जाती है्। इसके लिये अपने आहार में उचित मात्रा में कैल्शियम लें ,तिल के तेल का अधिक से अधिक सेवन करें, आयरन युक्त भोजन लें हरी साग सब्जिया ,मौसमी फल ,यदि आप पहले से ही एनिमिक है तो पहले उसे दूर करें । सुपाच्य तथा पौष्टिक भोजन करें। अधिक मिर्च मसाला , खटाई तथा तली चीजों से परहेज करें।
पीड़ादायक माहवारी का आप घर पर बिना औषधि से भी  उपचार कर सकते हैं?
निम्नलिखित उपचार हो सकता है  (1) अपने उदर के निचले भाग (नाभि से नीचे) गर्म सेक करें। ध्यान रखें कि सेंकने वाले पैड को रखे-रखे सो मत जाएं। (2) गर्म जल से स्नान करें। (3) गर्म पेय ही पियें। (4) निचले उदर के आसपास अपनी अंगुलियों के पोरों से गोल गोल हल्की मालिश करें। (5) सैर करें या नियमित रूप से व्यायाम करें और उसमें श्रेणी को घुमाने वाले व्यायाम भी करें। (6) साबुत अनाज,तिल, फल और सब्जियों जैसे मिश्रित कार्बोहाइड्रेटस से भरपूर आहार लें पर उसमें नमक, चीनी, मदिरा एवं कैफीन की मात्रा कम हो। (7) हल्के परन्तु थोड़े-थोड़े अन्तराल पर भोजन करें। (8) ध्यान अथवा योग जैसी विश्राम परक तकनीकों का प्रयोग करें। (9) नीचे लेटने पर अपनी टांगे ऊंची करके रखें या घुटनों को मोड़कर किसी एक ओर सोयें।